इस्फ़हान ईरान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. इसका नाम ‘नेस्फ़-ए-जहान’ या आधी दुनिया है. यह ईरान के मध्य में जाग्रोस पहाड़ों के पास स्थित है.
यह शहर और उसके आसपास के इलाके ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल बनाने वाले कारखानों का घर है.
इसके पास ही नतंज़ परमाणु केंद्र है. यह ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है.
किसने किया इस्फ़हान पर हमला?
इमेज कैप्शन,19 अप्रैल को ईरान के तेहरान में मीडिया चैनलों पर इसराइली हमले के दावे से जुड़ी ख़बरें रिपोर्ट की जा रही हैं.
अगर यह एक इसराइली हमला था तो ऐसा लग रहा है कि बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार ने ईरान को संदेश भेजा है. दरअसल वो ईरान को यह बताना चाह रही थी कि उसके पास उस इलाके के संवेदनशील लक्ष्यों पर हमले करने की क्षमता है, हालांकि ऐसा करने से परहेज़ किया जा रहा है.
ईरानी अधिकारियों ने तुरंत घोषणा की कि इस्फ़हान प्रांत के परमाणु केंद्र पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं. वह इस बात से इनकार करता रहा है कि परमाणु हथियार संपन्न देश बनने के लिए वह अपने नागरिक परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल कर रहा है.
हालांकि रातों-रात जो कुछ हुआ उसको लेकर विरोधाभासी ख़बरें भी हैं. ईरान की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रवक्ता हुसैन डेलिरियन ने कहा कि कई ड्रोनों को सफलतापूर्वक मार गिराया गया. प्रवक्ता ने उन ख़बरों को ख़ारिज कर दिया कि मिसाइल हमला हुआ था.
कुछ ईरानी मीडिया ने इस्फ़हान हवाई अड्डे और एक सैन्य हवाई अड्डे के पास तीन धमाकों की खबर दी है. ईरान ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि यह इसराइल की ओर से किया गया हमला था.
ईरान की सेना के कमांडर इन चीफ अब्दुल रहीम मौसवी ने शुक्रवार के धमाकों के लिए एक संदिग्ध वस्तु पर विमान भेदी रक्षा प्रणालियों की गोलीबारी को ज़िम्मेदार ठहराया.
ईरानी मीडिया और अधिकारियों ने कहा है कि इस घटना में तीन ड्रोन शामिल थे, जिन्हें घुसपैठियों ने लॉन्च किया था.
ईरानी वायु सेना का इस्फ़हान हवाई अड्डे पर एक बेस है. वहां उसके कुछ पुराने एफ़-14 लड़ाकू विमान हैं.
ईरान ने पहली बार 1970 के दशक में शाह के शासनकाल में अमेरिका निर्मित एफ़-14 हासिल किया था.
तब से वह उन्हें उड़ाए रखने में कामयाब रहा है. ईरान दुनिया का अकेला ऐसा देश है जो अभी भी टॉप गन लड़ाकू विमानों का परिचालन कर रहा है.
इस्फ़हान इसके पहले भी संदिग्ध इसराइली हमले की चपेट में आ चुका है. ईरान ने बीते साल जनवरी में शहर के बीच में स्थित गोला-बारूद बनाने वाले कारखाने पर ड्रोन हमले के लिए इसराइल को दोषी ठहराया था. यह हमला क्वाडकॉप्टर- चार प्रोपेलर वाले छोटे ड्रोन के ज़रिए किया गया था.
हाल के सालों में ईरान के दूसरे हिस्सों में भी इसी तरह के ड्रोन हमले की ख़बरें मिली हैं. इसराइल ने इनमें से किसी भी हमले में अपना हाथ होने को स्वीकार नहीं किया है.
इस्फ़हान को क्यों बनाया गया निशाना?
हामिश डी ब्रेटन-गॉर्डन रासायनिक हथियारों के विशेषज्ञ और ब्रिटेन और नेटो के परमाणु बलों के पूर्व प्रमुख हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस्फ़हान को निशाना बनाना बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इसके आसपास कई सैन्य अड्डे हैं.
उन्होंने कहा कि खबर है कि मिसाइल हमला उस जगह के काफी करीब था, जहां हम मानते हैं कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश कर रहा है, इसलिए शायद यह इस बात का संकेत है.
उन्होंने कहा कि इसराइली हमला बहुत हद तक उसकी क्षमता और शायद उसके इरादे का प्रदर्शन था. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताहांत ईरान की ओर से इसराइल पर दागे गए 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों में से अधिकांश को रोक दिया गया था, जबकि इसराइल ने लक्ष्य पर शायद एक या दो मिसाइलें दागी थीं और नुकसान पहुंचाया.
उन्होंने कहा, ईरानी अधिकारी हमले को बहुत अधिक महत्व नहीं दे रहे हैं, क्योंकि वे ईरान की पुरानी वायु रक्षा प्रणालियों को भेदने में इसराइल की सफलता का प्रचार नहीं करना चाहते थे.
उन्होंने कहा, “इसराइल सैन्य रूप से ईरान से बहुत आगे है. यह उसी का प्रदर्शन है.”
वो कहते हैं, “ईरान परंपरागत रूप से इसराइल के साथ आमने-सामने की लड़ाई की जगह अपने चरमपंथी समूहों और प्रॉक्सी का उपयोग कर छाया युद्ध लड़ना अधिक पसंद करेगा, जहां वह जानता है कि उसे झटका लगेगा.”
रूस ईरान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ रहा है, उसके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को इसराइल को बताया कि ईरान इस विवाद को और नहीं बढ़ाना चाहता है.
लावरोव ने रूसी रेडियो को बताया, “रूस और ईरान के नेतृत्व को, हमारे प्रतिनिधियों और इसराइलियों के बीच टेलीफोन पर संपर्क हुआ. हमने इन बातचीत में इसे बहुत स्पष्ट कर दिया है, हमने इसराइलियों से कहा है कि ईरान तनाव नहीं बढ़ाना चाहता है.”
ब्रेटन-गॉर्डन ने कहा कि पिछले सप्ताहांत इसराइल पर हमला कर ईरान ने थोड़ा सा गौरव बढ़ाया था, लेकिन वह अब इसे आगे बढ़ना नहीं चाहता. सीरिया में अपने वाणिज्य दूतावास पर एक अप्रैल को हुए संदिग्ध इसराइली मिसाइल हमले के बाद ईरान ने यह हमला किया था.
“वह जानता है कि इसराइल पूरी तरह से दृढ़ है और ऐसा लगता है कि उसे अमेरिका और अन्य देशों का भी समर्थन हासिल है. ईरान रूस से मिलने वाली थोड़ी सी मदद पर बहुत अधिक भरोसा नहीं कर सकता है,जो यूक्रेन की जगह मध्य पूर्व पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए बहुत उत्सुक है. इसके अलावा वह थोड़ा अलग-थलग भी है.
वो कहते हैं, “आखिरी चीज़ जो वे करना चाहते हैं, वह है उनका कुछ प्रमुख केंद्रों को प्रभावित करना.”
बी बी सी से साभार
( परस्तुति व अनुवाद अरशद नदीम )
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