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बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र और 2024 का आम चुनाव

अरशद नदीम

आम चुनाव 2024 के लिए अपने घोषणापत्र में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए लोकप्रिय जनादेश मांगा है। पार्टी का चुनाव प्रचार मुख्यत: पिछले दो कार्यकाल के अपने कामकाज पर आधारित है। उसने एक केंद्रीय वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने और शासन संबंधी वादों के लिहाज से अपनी उपलब्धियों को रेखांकित किया है और इसके साथ ही तीसरे कार्यकाल की पैरवी की है। मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान, अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया, और अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन भी हो गया। भाजपा के केंद्रीय कार्यक्रम का तीसरा घटक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) है, जिसका वादा तीसरे कार्यकाल के लिए किया गया है। घोषणापत्र में उन कदमों की एक फेहरिस्त है जो भाजपा द्वारा पहले ही लागू किये जा चुके हैं। इनमें दो तिहाई आबादी को कवर करने वाली मौजूदा मुफ्त अनाज योजना, नल के जरिए पेयजल और दूसरे गरीबी-विरोधी कार्यक्रम (खास तौर पर आवासन से जुड़े) शामिल हैं। घोषणापत्र दावा करता है कि भाजपा शासन के पिछले दो कार्यकाल के दौरान 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। तीन तलाक को जुर्म बनाये जाने का जिक्र भी बतौर उपलब्धि किया गया है। घोषणापत्र में अन्य पिछड़ा वर्गों, आदिवासी व दलित समुदायों के सरकार में विस्तृत प्रतिनिधित्व (घोषणापत्र के मुताबिक, निवर्तमान मंत्रिपरिषद में 60 फीसदी) को सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का सबूत बताया गया है।

तीसरे कार्यकाल के लिए अपनी दलीलों में, भाजपा का कहना है कि वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में देश को सही दिशा में बनाये रखने के लिए एक मजबूत और स्थिर सरकार की निरंतरता जरूरी है। उसने तीसरे कार्यकाल में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और महिला आरक्षण के लिए कानून लागू करने का भी वादा किया है। जाति जनगणना (जो कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल एक वादा है) की मांग की बाबत कोई नजरिया पेश करने से पार्टी कतरा कर निकल गयी है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने का जिक्र जरूर किया है। तीसरे कार्यकाल के लिए उसका मुख्य नया वादा वरिष्ठ नागरिकों की खातिर 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य-देखभाल गारंटी है। यह एक उल्लेखनीय बदलाव है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विवादास्पद मुद्दे का कोई उल्लेख नहीं है। मोदी के व्यक्तिगत करिश्मे (पूरे घोषणापत्र का नाम ‘मोदी की गारंटी’ है) पर जोर देने के अलावा, भाजपा ग्रामीण, युवा, अन्नदाता [किसान], नारी और मध्यम वर्ग (ज्ञानम) तबके को रिझाने की कोशिश कर रही है। यह घोषणापत्र भाजपा की रणनीति और दृष्टि का दस्तावेज है जो पिछले 10 सालों के दौरान निर्धारित भारत की दिशा में निरंतरता का इशारा करता है। दो कार्यकाल के बाद, भाजपा को अपनी कल्याणकारी योजनाओं और दूसरी उपलब्धियों को गिनाना ही था, लेकिन एक सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में उसके वादे ज्यादा ठोस होने चाहिए थे। मतदाता निश्चित रूप से इन वादों को उपलब्धियों की पृष्ठभूमि मे आंकेंगे।

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